बारिश मौसम विभाग द्वारा जारी मानसून पूर्वानुमान 2025 में सामान्य वर्षा की संभावना दर्शाता है। IMD के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून जून में केरल पहुंचेगा। राज्यवार वर्षा वितरण, साप्ताहिक अपडेट्स, और किसानों के लिए कृषि सलाह सहित संपूर्ण मौसम जानकारी उपलब्ध है।
Table of Contents
- बारिश मौसम विभाग की भूमिका और महत्व
- मानसून पूर्वानुमान प्रणाली
- राज्यवार वर्षा विवरण
- तकनीकी उपकरण और डेटा संग्रह
- किसानों के लिए मौसम सेवाएं
- मौसम चेतावनी प्रणाली
- भविष्य की योजनाएं और सुधार
बारिश मौसम विभाग की भूमिका और महत्व {#role-importance}
बारिश मौसम विभाग, जिसे आधिकारिक रूप से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) के नाम से जाना जाता है, देश की प्रमुख मौसम पूर्वानुमान एजेंसी है। 1875 में स्थापित यह विभाग वर्षा, तापमान, चक्रवात और अन्य मौसमी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी के लिए उत्तरदायी है।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश मौसम विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। देश की लगभग 60% कृषि भूमि मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। विभाग के पूर्वानुमान किसानों को बुवाई, सिंचाई और कटाई के निर्णय लेने में सहायता करते हैं। IMD की आधिकारिक वेबसाइट पर रीयल-टाइम मौसम अपडेट्स उपलब्ध हैं।
मौसम विभाग का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है, जिसमें 6 क्षेत्रीय मौसम केंद्र, 27 मौसम केंद्र और 550 से अधिक सतह वेधशालाएं शामिल हैं। यह व्यापक नेटवर्क सुनिश्चित करता है कि देश के हर कोने से मौसम डेटा एकत्र किया जा सके।
मानसून पूर्वानुमान प्रणाली {#monsoon-forecast}
दक्षिण-पश्चिम मानसून की भविष्यवाणी
बारिश मौसम विभाग द्वारा जारी मानसून पूर्वानुमान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण घोषणा मानी जाती है। विभाग अप्रैल में पहला दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी करता है, जिसमें जून-सितंबर की अवधि के लिए कुल वर्षा का अनुमान होता है।
मानसून पूर्वानुमान के लिए विभाग निम्नलिखित पैरामीटर्स का विश्लेषण करता है:
- समुद्री सतह तापमान (Sea Surface Temperature)
- वायुमंडलीय दबाव पैटर्न
- एल निनो और ला निना की स्थिति
- हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole)
- हिमालय में बर्फ आच्छादन
पूर्वानुमान की सटीकता
पिछले दशक में बारिश मौसम विभाग ने अपनी पूर्वानुमान सटीकता में उल्लेखनीय सुधार किया है। डायनामिक मॉडल्स और सुपरकंप्यूटर्स के उपयोग से अब 70-75% सटीक भविष्यवाणी संभव है। राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र उन्नत मॉडलिंग तकनीकों का विकास करता है।
राज्यवार वर्षा विवरण {#state-wise-rainfall}
उत्तर भारत की वर्षा स्थिति
बारिश मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारतीय राज्यों में मानसून की स्थिति:
उत्तर प्रदेश और बिहार: जुलाई-अगस्त में सर्वाधिक वर्षा, वार्षिक औसत 900-1200 मिमी पंजाब और हरियाणा: मध्यम वर्षा, वार्षिक औसत 500-700 मिमी राजस्थान: कम वर्षा क्षेत्र, पूर्वी भाग में 400-600 मिमी, पश्चिमी में 100-300 मिमी हिमाचल और उत्तराखंड: भारी वर्षा, वार्षिक औसत 1500-2000 मिमी
दक्षिण भारत की मानसून विशेषताएं
दक्षिणी राज्यों में वर्षा का पैटर्न भिन्न होता है:
- केरल: मानसून का पहला प्रवेश, वार्षिक वर्षा 3000+ मिमी
- कर्नाटक: तटीय क्षेत्र में भारी वर्षा, अंतर्देशीय में मध्यम
- तमिलनाडु: उत्तर-पूर्व मानसून से अधिक वर्षा
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: जून-सितंबर में मुख्य वर्षा
तकनीकी उपकरण और डेटा संग्रह {#technical-tools}
आधुनिक पूर्वानुमान तकनीक
बारिश मौसम विभाग अत्याधुनिक तकनीकी साधनों का उपयोग करता है:
डॉप्लर मौसम रडार: देशभर में 33 डॉप्लर रडार स्थापित हैं जो वर्षा की तीव्रता और गति का सटीक मापन करते हैं। ये रडार 400 किमी के दायरे में मौसम की निगरानी करते हैं।
उपग्रह प्रणाली: INSAT और Kalpana उपग्रह निरंतर मौसम चित्र प्रदान करते हैं। ये उपग्रह क्लाउड कवर, समुद्री सतह तापमान और वायुमंडलीय नमी का मापन करते हैं।
स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS): देशभर में 1350+ AWS स्थापित हैं जो हर 15 मिनट में डेटा भेजते हैं। ये स्टेशन तापमान, आर्द्रता, वर्षा, हवा की गति और दिशा की जानकारी प्रदान करते हैं।
सुपरकंप्यूटिंग सुविधाएं
राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान के लिए विभाग दो सुपरकंप्यूटर्स का उपयोग करता है:
- प्रत्यूष: 6.8 पेटाफ्लॉप्स क्षमता
- मिहिर: 2.8 पेटाफ्लॉप्स क्षमता
ये सुपरकंप्यूटर्स जटिल मौसम मॉडल्स चलाने और उच्च रिज़ॉल्यूशन पूर्वानुमान तैयार करने में सक्षम हैं।
किसानों के लिए मौसम सेवाएं {#farmer-services}
कृषि मौसम सलाह सेवा
बारिश मौसम विभाग किसानों के लिए विशेष सेवाएं प्रदान करता है:
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS): यह सेवा 130 कृषि मौसम फील्ड इकाइयों के माध्यम से संचालित होती है। किसानों को SMS के माध्यम से मौसम आधारित कृषि सलाह प्रदान की जाती है।
मेघदूत ऐप: मेघदूत मोबाइल एप्लिकेशन किसानों को स्थानीय मौसम पूर्वानुमान और फसल-विशिष्ट सलाह प्रदान करता है। यह ऐप हिंदी सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।
फसल-विशिष्ट पूर्वानुमान
विभाग विभिन्न फसलों के लिए अनुकूलित पूर्वानुमान प्रदान करता है:
- खरीफ फसलें: धान, कपास, दलहन के लिए मानसून पूर्वानुमान
- रबी फसलें: गेहूं, चना के लिए शीतकालीन वर्षा पूर्वानुमान
- बागवानी फसलें: फल और सब्जियों के लिए विशेष मौसम बुलेटिन
मौसम चेतावनी प्रणाली {#warning-system}
रंग-कोडित चेतावनी प्रणाली
बारिश मौसम विभाग चार स्तरीय रंग-कोडित चेतावनी जारी करता है:
हरा (कोई चेतावनी नहीं): सामान्य मौसम स्थिति पीला (सतर्क रहें): मौसम खराब हो सकता है, निगरानी आवश्यक नारंगी (तैयार रहें): गंभीर मौसम की संभावना, सावधानी बरतें लाल (कार्रवाई करें): अत्यंत गंभीर मौसम, तत्काल सुरक्षा उपाय अपनाएं
आपदा प्रबंधन समन्वय
विभाग राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के साथ मिलकर काम करता है। चक्रवात, बाढ़ और सूखे की स्थिति में समय पर चेतावनी जारी की जाती है। NDMA की वेबसाइट पर आपदा तैयारी दिशानिर्देश उपलब्ध हैं।
भविष्य की योजनाएं और सुधार {#future-plans}
तकनीकी उन्नयन योजनाएं
बारिश मौसम विभाग निरंतर अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रहा है:
AI और मशीन लर्निंग: पूर्वानुमान सटीकता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग। पैटर्न पहचान और डेटा विश्लेषण में ML एल्गोरिदम का प्रयोग।
उच्च रिज़ॉल्यूशन मॉडल्स: 12 किमी से 3 किमी रिज़ॉल्यूशन तक के मॉडल्स का विकास। स्थानीय स्तर पर अधिक सटीक पूर्वानुमान संभव।
IoT सेंसर नेटवर्क: इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित मौसम सेंसर का विस्तार। रीयल-टाइम डेटा संग्रह और विश्लेषण में सुधार।
जन जागरूकता अभियान
विभाग मौसम साक्षरता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाता है:
- स्कूलों में मौसम विज्ञान कार्यशालाएं
- किसान प्रशिक्षण शिविर
- सोशल मीडिया जागरूकता अभियान
- स्थानीय भाषा में मौसम बुलेटिन
बारिश मौसम विभाग की सेवाएं भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान के संयोजन से विभाग देश की मौसम संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है। भविष्य में और अधिक सटीक पूर्वानुमान और बेहतर सेवाओं की उम्मीद है।