Vat Savitri Purnima 2025 आज 10 जून मंगलवार को मनाई जा रही है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि सुबह 11:35 बजे शुरू होकर कल दोपहर 1:13 बजे तक रहेगी। जानें सम्पूर्ण पूजा विधि।
Table of Contents
- Vat Savitri Purnima 2025 कब है – तिथि और मुहूर्त
- वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का महत्व
- वट सावित्री व्रत कथा
- पूजा सामग्री की सूची
- वट सावित्री पूर्णिमा व्रत विधि – 7 चरण
- व्रत के नियम और परम्पराएं
- व्रत पारण की विधि
Vat Savitri Purnima 2025 कब है – तिथि और मुहूर्त {#tithi-muhurat}
Vat Savitri Purnima 2025 का पर्व आज 10 जून 2025, मंगलवार को मनाया जा रहा है। In 2025, Vat Purnima will fall on Tuesday, 10 June, coinciding with the highly auspicious Jyeshtha Purnima. The tithi will begin at 11:35 AM on 10 June and end at 1:13 PM on 11 June. हिंदू पंचांग के अनुसार उदया तिथि के नियम से व्रत आज ही किया जाना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
Vat Savitri Purnima 2025 के लिए विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:30 से 5:15 बजे तक
- पूजा का श्रेष्ठ समय: सुबह 6:00 से 8:00 बजे तक
- परिक्रमा मुहूर्त: सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक
- व्रत पारण समय: कल 11 जून को दोपहर 1:13 बजे के बाद
हिंदू कैलेंडर के अनुसार अन्य महत्वपूर्ण व्रत की जानकारी के लिए हमारे पंचांग अनुभाग देखें। यह व्रत विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में पूर्णिमा को मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में यह अमावस्या को मनाया जाता है।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का महत्व {#vrat-mahatva}
धार्मिक महत्व
Vat Savitri Purnima 2025 का विशेष महत्व सुहागिन महिलाओं के लिए है। Women observe this fast by performing Vat Savitri Puja under the Vat tree, tying sacred threads around the trunk, and listening to the Vat Savitri Vrat Katha. The tree is believed to hold the divine trinity – Brahma, Vishnu, and Shiva – and is considered sacred.
वट वृक्ष को त्रिदेवों का प्रतीक माना जाता है:
- जड़ में ब्रह्मा जी का वास
- तने में विष्णु जी का निवास
- शाखाओं में शिव जी का स्थान
सामाजिक और पारिवारिक महत्व
Women observe fast and do Puja for following benefits: Devotion and Faithfulness: The festival symbolises the devotion, faithfulness, and love of a wife towards her husband. Savitri’s commitment and determination are revered and celebrated. यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
Vat Savitri Purnima 2025 के दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। यह व्रत सात जन्मों तक पति का साथ पाने की कामना से किया जाता है।
वट सावित्री व्रत कथा {#vrat-katha}
राजा अश्वपति और सावित्री का जन्म
There lived a King named Ashvapati, the king of the Madra Kingdom who had everything but a child. राजा अश्वपति ने संतान प्राप्ति के लिए सूर्य देव की कठोर तपस्या की। प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें एक कन्या का वरदान दिया, जिसका नाम सावित्री रखा गया।
सत्यवान से विवाह
सावित्री ने स्वयंवर में सत्यवान को चुना, जो एक निर्वासित राजकुमार था। Despite knowing that her husband had a short lifespan, Savitri chose to marry him. नारद मुनि ने बताया कि सत्यवान की आयु केवल एक वर्ष शेष है, फिर भी सावित्री ने उससे विवाह करने का निश्चय नहीं बदला।
यमराज से संघर्ष
When Yamraj, the god of death, came to take Satyavan’s soul, Savitri followed him and used her wit and devotion to convince him to return her husband’s life. Impressed by her loyalty and courage, Yamraj granted her wish. Vat Savitri Purnima 2025 इसी घटना की स्मृति में मनाई जाती है।
सावित्री ने यमराज से तीन वरदान मांगे:
- सास-ससुर की आंखों की रोशनी
- ससुर का खोया राज्य
- सत्यवान से सौ पुत्रों की प्राप्ति
पौराणिक कथाओं में नारी शक्ति के अन्य उदाहरण देखने के लिए हमारे धर्म अनुभाग में जाएं।
पूजा सामग्री की सूची {#puja-samagri}
Vat Savitri Purnima 2025 की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
मुख्य पूजा सामग्री
- लाल या पीली साड़ी (नई या साफ)
- सोलह श्रृंगार की वस्तुएं
- कच्चा सूत (लाल या पीला)
- कुमकुम, हल्दी, चंदन
- फूल और फूलों की माला
- दीपक और तेल
- धूप, अगरबत्ती
प्रसाद सामग्री
- नौ प्रकार के फल
- भीगे हुए चने
- मिठाई (विशेषकर खीर)
- पान, सुपारी
- नारियल
विशेष सामग्री
Camphor, cardamom, Betel Nut, Kesar, sandalwood powder, turmeric powder, vermillion, Almonds, durva, perfume, incense sticks, fruits, sweets, flowers, coconut, mango, white cloth, red thread, and Ganga Jal.
पूजा सामग्री की विस्तृत सूची के लिए हमारे पूजा गाइड देखें।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत विधि – 7 चरण {#puja-vidhi}
चरण 1: प्रातःकाल स्नान और संकल्प
Vat Savitri Purnima 2025 के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। On Vat Purnima, married women wake up early, bathe, and wear clean, preferably red or yellow attire. They adorn themselves with Solah Shringar (sixteen bridal adornments) to symbolise saubhagya (good fortune).
स्नान के समय तिल और आंवले का प्रयोग करें। स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें: “मैं अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए यह व्रत कर रही हूं।”
चरण 2: सोलह श्रृंगार
Vat Savitri Purnima 2025 के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं:
- बिंदी, सिंदूर, काजल
- मेहंदी, चूड़ियां, बिछिया
- नथ, कर्णफूल, माला
- कमरबंद, पायल आदि
चरण 3: वट वृक्ष की सफाई और सजावट
वट वृक्ष के चारों ओर की जगह को गोबर और मिट्टी से लीपें। वृक्ष के तने पर हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं। चावल के आटे से अल्पना बनाएं।
चरण 4: मूर्ति स्थापना और पूजन
Install idols of Satyavan and Savitri. Thereafter, they should worship it with sindoor, sandalwood powder, flowers, kumkum, rice grains, etc. and offer red cloth, fruits and ‘prasad’. यदि मूर्ति उपलब्ध न हो तो चित्र का उपयोग करें।
चरण 5: परिक्रमा और सूत बांधना
With deep devotion, they perform parikrama (circumambulation) around the banyan tree 7, 11, 21, 51, or 108 times, wrapping raw cotton thread around the trunk during each round. प्रत्येक परिक्रमा के साथ पति की लंबी आयु की कामना करें।
Vat Savitri Purnima 2025 की परिक्रमा करते समय यह मंत्र जपें: “सावित्री सत्यवान्तं वटमूले पतिव्रता। सा माम् रक्षतु सर्वस्मात् भर्तारं मे चिरायुषम्॥”
चरण 6: कथा श्रवण और आरती
After the puja, women read or listen to the Vat Savitri Katha, which narrates the tale of Savitri’s unwavering devotion and spiritual strength. कथा सुनने के बाद वट वृक्ष की आरती करें।
चरण 7: प्रसाद वितरण और दान
पूजा के बाद अन्य सुहागिन महिलाओं को प्रसाद, फल और सुहाग की वस्तुएं भेंट करें। ब्राह्मणों को दान दें और आशीर्वाद लें।
व्रत और पूजा की अन्य विधियों के लिए हमारे धर्म अनुभाग देखें।
व्रत के नियम और परम्पराएं {#vrat-niyam}
व्रत के प्रकार
Vat Savitri Purnima 2025 का व्रत तीन प्रकार से रखा जा सकता है:
- निर्जला व्रत: पूर्ण उपवास, जल भी नहीं
- फलाहार व्रत: केवल फल और दूध
- एकभुक्त व्रत: दिन में एक बार भोजन
Hindu women observe the Vat Savitri Vrat for the happiness and longevity of their husbands. अधिकांश महिलाएं निर्जला व्रत रखना श्रेष्ठ मानती हैं।
व्रत के दौरान क्या करें
- पति की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं
- वट सावित्री व्रत कथा का पाठ करें
- सावित्री-सत्यवान के भजन गाएं
- पति के लिए विशेष प्रार्थना करें
- सास-ससुर का आशीर्वाद लें
व्रत के दौरान क्या न करें
- क्रोध या नकारात्मक विचार न करें
- झूठ न बोलें
- किसी से कलह न करें
- बाल न खोलें (पूजा के समय तक)
- काले रंग के वस्त्र न पहनें
Vat Savitri Purnima 2025 के व्रत में मन, वचन और कर्म की शुद्धता अत्यंत आवश्यक है। व्रत के दौरान मानसिक शांति के उपाय जानने के लिए हमारे योग अनुभाग देखें।
क्षेत्रीय परम्पराएं
In Purnimanta calendar Vat Savitri Vrat is observed during Jyeshtha Amavasya which coincides with Shani Jayanti. In Amanta calendar Vat Savitri Vrat, which is also called as Vat Purnima Vrat, is observed during Jyeshtha Purnima.
विभिन्न राज्यों में परम्पराएं:
- महाराष्ट्र: पूर्णिमा को मनाया जाता है
- उत्तर प्रदेश/बिहार: अमावस्या को मनाया जाता है
- गुजरात: विशेष गरबा और भजन
- राजस्थान: सामूहिक पूजा की परंपरा
व्रत पारण की विधि {#vrat-paaran}
पारण का समय
Vat Savitri Purnima 2025 का व्रत पारण 11 जून को दोपहर 1:13 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के बाद करना चाहिए। पारण से पहले पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
पारण की विधि
- सबसे पहले तुलसी दल और गंगाजल ग्रहण करें
- फिर पंचामृत पिएं
- इसके बाद फल और मिठाई खाएं
- अंत में सात्विक भोजन करें
Devotees offer gifts, fruits, and suhaag (marital) items to other married women, Brahmins, or the needy. पारण के बाद अन्य सुहागिन महिलाओं को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
व्रत के फल
Vat Savitri Purnima 2025 के व्रत से प्राप्त होने वाले लाभ:
- पति की आयु में वृद्धि
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति
- संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
- सात जन्मों तक पति का साथ
- अखंड सौभाग्य की प्राप्ति
हिंदू धर्म के अन्य महत्वपूर्ण व्रत और उनके लाभ जानने के लिए हमारे व्रत-त्योहार अनुभाग देखें।
आधुनिक समय में व्रत का महत्व
आज के युग में भी Vat Savitri Purnima 2025 का व्रत अत्यंत प्रासंगिक है। यह व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। Following is the story about Vat Savitri Vrat and its related aspects जो आज भी प्रेरणादायक है।
कई शोधों से पता चला है कि व्रत रखने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। व्रत के वैज्ञानिक लाभ जानने के लिए हमारे स्वास्थ्य अनुभाग देखें।
Vat Savitri Purnima 2025 का यह पावन पर्व भारतीय संस्कृति में नारी के त्याग, समर्पण और शक्ति का प्रतीक है। सावित्री की कथा हमें सिखाती है कि सच्चे प्रेम और दृढ़ संकल्प से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं न केवल अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं बल्कि अपने रिश्ते को और मजबूत बनाती हैं।